Madhup

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दीप नारायण —

आधुनिकताक अ’ढ़मे अखन लोक अपन भाषा-संस्कृतिकेँ छोड़ि यान्त्रिकताकेँ ओढ़ने जा रहल अछि। एहना समयमे अपन गाम-घर, आँगन-दलान, माँटि-पानि, खेत-खरिहान, परम्परा-संस्कार आदिक संग हेरा रहल शब्दक नव-नव भाव-सौन्दर्य अपन कवितामे मिज्झर करैत भोरुका सुरुजक संग जेना कोनो पुष्प प्रस्फुटित होइत अपन सुगन्धि छिड़ीयबैत अछि ओहिना ललित कुमारजी मैथिली कविता संसारमे अपन शब्द-मुस्कीक संग प्रवेश कएलनि अछि।

हिनक कवितामे मैथिलीक सुच्चा शब्द सभक सौन्दर्य निखरिकेँ सोझाँ आएल अछि। विलुप्त होइत खाँटी मैथिलीक शब्द सभकेँ ललितजी जे अपन छाहरि देलनि अछि ओ सरिपहुँ स्तुत्य अछि। भाव-सौन्दर्य आ नाद-सुरभिक जुगलबन्दी हिनक काव्य केर विशिष्टता थिक।


ललितजीक जन्म मधुबनी जिलाक कोरियापट्टी (बेलौना), बासोपट्टीमे स्मृतिशेष माता मीना देवी एवं पिता श्री राजेन्द्र ठाकुरजीक आँगनमे 22 अगस्त 1976 ई.केँ भेलनि। तीन वर्षक अवस्थामे जखन माएक आँचर माथ परसँ ससरि गेलनि तखन अपर माता श्रीमती रेणु देवी, काकी विमल देवी, कक्का उमेश ठाकुर आ बाबा-दाइक संग पिताक कोरामे खेलैत-धुपैत सिआन भेलाह। हिनक प्रारंभिक शिक्षा गामक विद्यालयमे आ उच्च शिक्षा पटनामे भेलनि।


मिथिलाक्षर प्रवीण ललितजीक कवीश्वर चंदा झा रचित मिथिला भाषा रामायण आ श्रीमद्भगवद्गीताक मिथिलाक्षरमे लिप्यन्तरण अप्रकाशित छनि। मिथिला, मैथिली आ मिथिलाक्षरक सेवामे सदैव तत्पर रहैत छथि। अनुमंडल कार्यालयक संग विद्यालय सभक नाम देवनागरीक संग मिथिलाक्षरमे लिखओलनि।
मिथिलाक्षरक प्रचार-प्रसार लेल विद्यापति सम्मान- 2020, मिथिला भाषा रामायणक लिप्यन्तरण हेतु अटल-मालवीय सम्मान- 2021, मिथिलाक्षरमे उत्कृष्ट कार्य हेतु जागृति सम्मान- 2021, मिथिलाक्षरक प्रसार हेतु सोशल वर्कर एवार्ड- 2023 आदि सम्मानसँ अलंकृत छथि।
हिन्दी साहित्यसँ स्नातकोत्तर ललितजी सम्प्रति बिहार सरकारक शिक्षक रूपमे प्राथमिक विद्यालय (कन्या), जिरौल, हरलाखीमे कार्यरत छथि।

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