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पंछी बनी गगन केर…

अशोक कुमार मेहता

 

कविकेँ तँ ‘गगनक पंछी’ मानले गेल अछि। कल्पनाक उड़ान— से तँ पक्षी भेनहि सम्भव। किन्तु, आब परिभाषा बदलि गेलै अछि। ठोस धरतीपरक कठोर वास्तविकताककेँ स्वयं बिनु भोगल गेल रचल कविताकेँ आब ‘वायवीय’ कहल जाइ छै। ई विचार मुख्यतः पाठ्य कविताक आधारपर अभड़ल अछि। गीतपर केन्द्रित तेहन गम्भीर विवेचना, मत-मतान्तर, अपन साहित्यमे देखबामे आयल हो, से मन नहि पड़ैत अछि। नवगीतपर तँ खासकऽ ‘हम भेटब’ सन उच्चस्तरीय पोथी एहि विधाकेँ गौरवान्वित कयने अछि। गंगेश गुंजन, बुद्धिनाथ मिश्र, शान्ति सुमन सहित उच्च श्रेणीक नवगीतकार लोकनि एखनहुँ एहि विधाक गौरव शानसँ बढ़ा रहल छथिन।

अशोक कुमार मेहता हिनका लोकनिक उत्तर पीढ़ीक प्रमुख नाम बनि उभड़ल तँ पूर्वेसँ रहथि, आब एहि कृतिक संग ‘हस्ताक्षर’ भऽ गेल छथि। हिनक नवगीतक त्वरा, भंगिमा, विषय, उपस्थापन एवं श्रोता-पाठकक प्रभावपर पकड़क चर्चा तँ आब होयत आ से होयबेक चाही। तत्काल एतबा तँ कहले जा सकैछ जे एकर ‘बीज’जे कविमे छलनि, तकर ‘पौध’ लहलहाकऽ विकसित भेलनि अछि, जकर सुवास साहित्यिक वातावरणकेँ अबस्से गमगमा देत। बेसी गीत शृंगार रसक चासनीमे बोरल भेटत। ताहिसँ एतबा तँ होइते छै जे स्वाद मधुरिम भऽ जाइ छै। ओहि नहलापर दहला ई जे प्रत्येक गीत मनमोहक भावचित्रसँ विशेष उद्भासित भऽ उठल अछि।

नवगीत-गगनक ई कोकिल-पंछी एखन तँ उड़ान भरब आरम्भे कयलक अछि। विश्वास अछि आ ताहि लेल विशेष शुभकामना सेहो जे ई अपन एहि मधुर- मादक कूकसँ समाज आ साहित्यकेँ एहिना अथोड़ आनन्दविभोर करैत रहय।

 —भीमनाथ झा

छपकी पररी, दरभंगा
15 अगस्त 2024

 

अशोक कुमार मेहता

बिहारक तत्कालीन सहरसा आ वर्तमान सुपौल जिलाक रतनपुर गाममे श्रीमती तारा देवी आ श्री सत्यनारायण मेहताक घर 10 फरवरी 1969 इस्वीकेँ जन्म लेनिहार अशोक कुमार मेहता पटना विश्वविद्यालय, पटनासँ पी-एच.डी धरिक उपाधि प्राप्त कएने छथि। जे.आर.एफ(यूजीसी) उत्तीर्णताक आधार पर 05 नवम्बर 1996केँ मिल्लत कॉलेज, दरभंगामे व्याख्याता नियुक्त भेलाह। वर्तमानमे विश्वविद्यालय मैथिली विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगामे प्राचार्य छथि। विश्वविद्यालयक अनेक प्रशासनिक दायित्वक निर्वहन कऽ चुकल प्रोफेसर मेहता एखन सिंडिकेट सदस्य आ महाविद्यालय निरीक्षक (कला एवं वाणिज्य)क महती भूमिकामे छथि।

श्री मेहता मैथिली भाषाक कवि, कथाकार, आलोचक, समीक्षक एवं सम्पादक रूपमे यशस्वी छथि। बीसम शताब्दीक नवम दशकक पूर्वाद्धमे प्रवेश भेलनि आ एखन धरि तात्पर्य, व्यक्तिवाचक, सम्प्रति (सम्पादन) तथा भाव भूमि रसवंत (संग संपादन) मैथिली आलोचनाक पोथी प्रकाशित छनि। प्रोफेसर महेन्द्र प्रसाद सिंहक उपन्यास ‘फूलोरानी’क सम्पादन सेहो कएने छथि। पत्रिका जखन-तखन आ मैथिलीक सम्पादन कार्यसँ सम्बद्ध छथि।

चेतना समिति, पटना द्वारा माहेश्वरी सिंह महेश निबन्ध पुरस्कार, अन्तरराष्ट्रीय मैथिली-सम्मेलन द्वारा मिथिला रत्न, मिथिलांचल सर्वांगीण विकास संस्थान, बेनीपट्टी द्वारा मिथिला गौरव सम्मान, विद्यापति सेवा संस्थान, दरभंगा द्वारा मिथिला विभूति सम्मानसँ विभूषित राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय मंच पर लयात्मक काव्य प्रस्तुतिक लेल अशोक कुमार मेहता ख्यातिलब्ध कवि-गीतकारक रूपमे समादृत छथि।

—दीप नारायण

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